FY-19 में मार्केट में उतार-चढ़ाव की आशंका, एक्सपर्ट्स: सेंटीमेंट्स सुधरने में लगेगा वक्त

FY-19 में मार्केट में उतार-चढ़ाव की आशंका, एक्सपर्ट्स: सेंटीमेंट्स सुधरने में लगेगा वक्त

नई दिल्ली। पिछले फाइनेंशियल के शुरूआती 10 महीनों में स्टॉक मार्केट में नॉन स्टॉप रैली के बाद 2 महीने से मार्केट में गिरावट का दौर है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि उतार-चढ़ाव के लिए जिम्मेदार सभी घरेलू और ग्लोबल सेंटीमेंट्स अभी मौजूद हैं, जिनके सुधरने में वक्त लगेगा। नए फाइनेंशियल के शुरूआती महीनों में मार्केट में वोलैटिलिटी दिख सकती है। वहीं, पूरे साल मार्केट रेंजबाउंड रहेगा। ऐसे में शुरूआती किसी भी अपसाइड मूवमेंट का इस्तेमाल मुनाफा वसूली के लिए करना चाहिए। वहीं, लंबी अवधि के लिए टिकने वाले निवेशकों को भारत थीम वाले शेयरों, ऑटो, मिडकैप आईटी और इंफ्रा शेयरों में निवेश करने की सलाह है।  



घरेलू और ग्लोबल दोनों स्तर पर दबाव
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले फाइनेंशियल ईयर का अंत मार्केट में हाई वोलेटिलिटी के साथ हुई है। जिसका असर नए फाइनेंशियल के कुछ महीनों तक जारी रहेगा। घरेलू स्तर पर पीएसयू बैंक शेयरों पर दबाव, LTCG टैक्स, फिस्कल डेफिसिट बढ़ने का डर, इनफ्लेशन, टाइट मॉनेटरी पॉलिसी का डर और पॉजिटिकल अनसर्टेनिटी से मार्केट पर दबाव बना हुआ है। वहीं ग्लोबल स्तर पर भी मार्केट सेंटीमेंट निगेटिव बने हुए हैं। ट्रेड वार के बढ़ने की आशंका, यूएस में हायर इंटरेस्ट रेट, डॉलर में अप्रेसिएशन, महंगा क्रूड, ग्लोबल बॉन्ड यील्ड के बढ़ने से भारत सहित दुनियाभर के बाजारों के लिए सेंटीमेंट खराब हुए हैं। 

आउटलुक को लेकर बनी हुई है चिंता 
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विस के रिसर्च हेड विनोद नैयर के अनुसार फाइनेंशियल 2019 के लिए शेयर मार्केट के आउटलुक को लेकर चिंता बनी हुई है। मार्केट का वैल्युएशन अभी भी हाई है। घरेलू स्तर पर मार्केट सेंटीमेंट को पॉजिटिव ट्रिगर नहीं मिल रहा है। क्रेडिट ग्रोथ कमजोर है, पी-इलेक्शन वोलैटिलिटी का भी डर है। वहीं, ग्लोबल स्तर पर भी सेंटीमेंट निगेटिव है, वहीं अब ट्रेड वार ने इसे और कमजोर किया है। ऐसे में फाइनेंशियल ईयर 2019 में मार्केट में हाई वोलैटिलिटी का डर बना हुआ है। 

ऊपर की ओर 10600 का स्तर अहम 
मार्केट एक्सपर्ट सचिन सर्वदे का कहना है कि अगले फाइनेंशियल ईयर में शेयर बाजार में दबाव रहेगा। ग्लोबल मार्केट में अनिश्चितता का दबाव घरेलू मार्केट पर साल भर देखने को मिल सकता है। वहीं 2019 में भारत में आम चुनाव होने हैं। आम चुनाव से पहले के कुछ महीनों में अमूमन मार्केट में दबाव देखा जाता है। इसके अलावा अमेरिका-रूस में टेंशन के साथ ग्लोबल ट्रेड वार की चिंता, अमेरिकी फेड रेट में तीव्र बढ़ोतरी के संकेत जैसे फैक्टर्स है जिससे अगले फाइनेंशियल ईयर में मार्केट में ज्यादा रैली की उम्मीद नहीं है। शुरूआत के 3 महीने निफ्टी को ऊपर की ओर से 10600 के स्तर पर रेजिस्टेंस दिख रहा है। यह लेवल टूटता है तो मार्केट में कुछ और रैली दिखेगी। 

लिक्विडिटी को लेकर भी चिंता
स्टैलियन एसेट्स डॉट कॉम के सीआईओ अमीत जेसवानी का कहना है कि अभी मार्केट में लिक्विडिटी की पोजिशन टाइट है। एफआईआई का रवैया मार्च में मिला-जुला रहा है, लेकिन डर है कि आगे वे पैसे निकाल सकते हैं। वहीं, डीआईआई भी बिकवाली कर सकते हैं। असल में मार्केट अभी भी ओवरवैल्यूड है, कई शेयर ऊंचे वैल्यूएशन पर चल रहे हैं। दूसरी ओर मार्केट के लिए कोई पॉजिटिव संकेत नहीं मिल रहे हैं। 

ब्रोकिंग फर्म नोमुरा के अनुसार भी कैपिटल आउटफ्लो का डर बना हुआ है। यूएस में इंटरेस्ट रेट हाई हैं। डॉलर इंडेक्स में सुधार दिखा है। इससे इक्विटी मार्केट से कैपिटल आउटफ्लो बढ़ने का डर बना हुआ है। दूसरी ओर घरेलू स्तर भी टाइट मॉनेटरी पॉलिसी की सिचुएशन बन रही है। रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है। ऐसे में कॉरपोरेट बैलेंसशीट पर भी दबाव दिख रहा है। 


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